प्रतिबिम्ब

आसमान की छाती पर विचरने वाला अकेला चांद किससे बतियाता है ? वह क्या इतना एकांतप्रिय हो गया है कि उसे किसी का संग नहीं सुहाता ? यह भी तो हो सकता है कि ऐसा होना उसकी मजबूरी…

निजात

दस दिन पूर्व पांव में मोच आई तो मुझे फिर खाट पकड़नी पड़ी। मोर्निंग वाॅक से लौटते समय जाने कैसे पांव गड्ढे में पड़ गया। दो माह पूर्व कोहनी उतरी तो पन्द्रह रोज पट्टा बंधा था। उसके पहले…

मोहलत

ऑफिस में सारे दिन काम करते-करते कई बार पता ही नहीं चलता कि कब शाम का धुंधलका खिड़कियों एवं रोशनदानों से होकर आंगन में उतर आया है। अंतिम फाइल को पूरा कर मैंने सामने पड़ी अन्य फाइलों के…

कंदराएं

अगर मैं यह कहूं कि काली आंखें, गोरा रंग, तीखे नक्श एवं मतलब-बेमतलब  बात-बात पर हंसने वाली लड़की का नाम पद्मा है तो गलत नहीं कह रहा। सचमुच ये सभी बातें उसमें मौजूद थी। लेकिन जैसे चांद में…

कैकेयी-कथा

मैं कैकेयी हूँ। मैं कैकेयी अवधपति दशरथ की प्रिय रानी, कैकय नरेश अश्वपति की दुलारी पुत्री एवं रामानुज भरत की माँ हूँ। कवियों , चिंतकों ने मेरी भूमिका का इतना अपमान एवं उपहास किया है कि मैं राम-कथा…