वर्षों हो गए, रात्रि भोजन के पश्चात् मैं और निधि नित्य इवनिंग वाॅक पर निकलते हैं। पत्नी के साथ बतियाते हुए नरम घास पर टहलना, उसे दिन भर के क्रियाकलापों का लेखा-जोखा देना एवं उसके साथ मन का…
धरोहर
सूरज की पगड़ी सिर पर रखकर दिवस ने गंभीर आँखों से चारों ओर निहारा तो संपूर्ण जगत एक विचित्र भय से सिहर गया। जाने क्या सोचकर किसानों ने अपने हल सम्हाले, कामगारों ने औजार एवं जुलाहे करघों पर…