रात नौ बजे होंगे। पार्टी अब जमने लगी थी। होटल ताज काॅन्टिनेन्टल के जगमगाते सेंट्रल हाॅल में प्रबुद्ध लोगों की भीड़ जमा थी। प्रोफेसर, डाॅक्टर, समाजशास्त्री एवं अन्य कई विद्वान पार्टी की शोभा बढ़ा रहे थे। मिस शालिनी…
चिन्तामणि
दुनिया में दैविक चमत्कार होते रहते हैं। ऐसा ही एक चमत्कार रघुनाथ पाण्डे के साथ हुआ। अधेड़ उम्र का होते-होते इंसान भाग्य के कई पहलू स्वीकार कर लेता है। जीवन के थपेडे़ खाते-खाते एक नया ज्ञान उसकी आत्मा…
सत्यमेव जयते
साँझ कब की बीत चुकी थी। रात्रि की दुल्हन नवशृंगार कर अपने प्रियतम की प्रतीक्षा में आँखें बिछाये खड़ी थी। तारों एवं नक्षत्रों से घिरा चतुर्दशी का युवक चन्द्र आसमान में यूँ बढ़ रहा था मानो कोई दूल्हा…
खुजली
उसकी शादी हुए दस वर्ष से ऊपर बीत गये। न जाने क्यूँ उसे अब जीवन नीरस, निरानंद लगने लगा था। कई बार तो वह कंटाल जाता। उसे याद है जब दस वर्ष पूर्व वह अनामिका को ब्याह कर…
दुआ
भले आदमी तो दुनियाँ में बहुत देखे, पर सूर्यनारायण बिस्सा जैसा शायद ही कोई होगा। उनकी दिनचर्या नियमित थी। रोज सुबह पाँच बजे उठ जाते, तैयार होकर सीधे ‘मोर्निंग वाॅक’ पर निकलते। सरपट घूमकर आधे घण्टे में वापस…
बेटियाँ
बहुत समय के बाद घर में उमंग और उत्सव के पल आये हैं। प्रेम किशोर करवा बाहर आँगन में आराम कुर्सी पर बैठे किसी गहरे चिंतन में डूबे थे। भोर की ठण्डी हवा उनके दार्शनिक मन को एक…
मनुहार
चाँद आसमान को दो-तिहाई से ऊपर पार कर थकी-सी जम्हाई ले रहा था। चांदनी की महीन चादर ओढ़े थार के टिब्बे मीलों पसरे पड़े थे। भोर का तारा अंधेरे दरवाजे के पीछे खड़ा बाहर निकलने का मौका तक…
आधार
‘चाय तैयार है !’ तारा की रसोईघर से आती आवाज को सुनकर सब डाइनिंग टेबल पर हाजिर थे। तारा का अनुशासन कठोर था, वह सिर्फ एक ही बार आवाज देती। बार-बार आवाज देना उसे जरा भी नहीं सुहाता।…
वचन
सूर्य अंगड़ाई तोड़ते हुए क्षितिज से काफी ऊपर उठ आया था। सर्दियों में लोग अजगर की तरह निश्चेष्ट पड़े रहते हैं। रईस लोग मर्जी आए तब उठें, कामगारों को तो दिहाड़ी की चिंता ही उठा देती है। हर…
कुरजाँ
सूर्यदेव उदयांचल पर आरूढ़ हुए ही थे कि पक्षियों ने कलरव कर उनका यशोगान किया, पेड़-पौधों ने पत्तों पर ओस की बूंदों को धारण कर उन्हें जलांजलि दी तो खुशबू चुराती ताजी हवाओं ने भी फूलों की कुछ…
लकीरें
वह अपने माँ-बाप की इकलौती संतान थी। माँ-बाप ने उसे नाज़ों से पाला था, वह उनकी आँखों की पुतली थी। शादी के छः वर्ष बाद हुई थी वह। तब डाॅक्टर ने उसके पिता को बताया था, मिसेज मेहरा…
लुगाईलट्टू
धरती जैसे सूर्य का चक्कर लगाती है, चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर घूमता है, केदारनाथ भार्गव अपनी पत्नी के इर्दगिर्द उपग्रह की तरह घूमा करते थे। मोहल्ले की स्त्रियों के लिए यह कौतुक का विषय था, मर्दों के…