उस जगह को अस्पताल कहना गलत होगा। जिन कमरों से खिड़की खोलते ही कल-कल बहती गंगा मैया के दर्शन होते हैं, दूर तक फैला मैदान, पहाड़ एवं झूमते हुए पेड़ दिखते हों वह अस्पताल क्योंकर होगा। उसे रिसोर्ट…
गंध
वर्षों हो गए, रात्रि भोजन के पश्चात् मैं और निधि नित्य इवनिंग वाॅक पर निकलते हैं। पत्नी के साथ बतियाते हुए नरम घास पर टहलना, उसे दिन भर के क्रियाकलापों का लेखा-जोखा देना एवं उसके साथ मन का…
धरोहर
सूरज की पगड़ी सिर पर रखकर दिवस ने गंभीर आँखों से चारों ओर निहारा तो संपूर्ण जगत एक विचित्र भय से सिहर गया। जाने क्या सोचकर किसानों ने अपने हल सम्हाले, कामगारों ने औजार एवं जुलाहे करघों पर…
श्राप
अरावली पर्वतमाला के उत्तरी छोर की तलहटी में एक घना जंगल था। उसी जंगल में नीम के विशाल पेड़ पर एक मोर एवं मोरनी का जोड़ा रहता था। जंगल पेड़-पौधों एवं जंगली जानवरों से भरा पड़ा था। नीम…
अतिक्रमण
चौबेजी खुली खिड़की से क्या तक रहे थे? उनके सामने फैला विशाल जंगल चन्द्रमा की दूधिया चाँदनी में नहाया हुआ था। खिड़की से कुछ दूर ही ऊँचे नीम के पेड़ पर एक काले रंग का चिड़ा, एक चिड़िया…
अगियावेताल
क्या आपने अगियावेताल के बारे में सुना है? गरमी में पूर्वी छोर से सूर्य नहीं आग का गोला उगता है। भक्तजन उसे ठण्डा करने के लिए जलांजलि देते हैं तो असहाय पक्षी कलरव कर अपनी व्यथा प्रगट करते…
पहली बरसात
आषाढ़ अभी लगा ही था। जेठ ने पूरे महीने तप कर सभी जीव जन्तुओं एवं वनस्पतियों को व्याकुल कर दिया। दिन भर सूर्य आँखें फाड़े आग उगलता। कामविकला स्त्री की तरह पृथ्वी का अग्नितत्त्व उसे यूँ जला रहा…
पुटियापीर
इस दुनिया में किसको फुरसत है? सभी ऐसे भागे जा रहे हैं मानो संसार उनके भरोसे ही चल रहा है। अरे भई, यह दुनिया तुम्हारे पहले भी चल रही थी, तुम्हारे बाद भी चलेगी, जरा थम तो लो।…
जीत
मीना और महेश की दुश्मनी सारे मौहल्ले में मशहूर थी। यह भी कैसी दुश्मनी हुई ? दो दादाओं , दो पहलवानों , दो राजाओं , दो उस्तादों यहाँ तक कि दो स्त्रियों की दुश्मनी के बारे में तो…
राम नाम सत्य है
उसे बस इतना याद है कि उसका बाप क्षय रोग से मरा था। एक दिन खाँसते-खाँसते पिता ने माँ का पल्लु खींचकर मुंह में लगाया तो माँ चीख उठी, ‘‘इतना खून!’’ तब उसकी माँ फटे चिथड़ों में पूरे…
मिहिर-मेघा
आषाढ़ क्या लगा जड़-चेतन सभी मस्ती में बौरा गये। भोर के घोड़ों को रथ में जोतकर सूरज ने उसे हांका ही था कि सामने घूमता हुआ एक आवारा बादल उसके मार्ग में आ गया। नाक भौं चढ़ाकर सूरज…
एक टुकड़ा बादल
उसे खुद नहीं मालूम उसका नाम क्या था ? चंद मसखरों ने मिलकर उसका नाम मलंग रख दिया और अब वह इसी नाम से जाना जाता था। जिसके नाम का पता नहीं उसके माँ-बाप का ठौर-ठिकाना कौन बताये…