चिड़ी का बाप

दिन अस्त हुआ तो दिवाकर ने दीर्घायु वृद्ध की तरह अनुभवों की गठरी अपने कंधे पर लादी एवं चुपचाप अस्ताचल में उतर गए। जाते-जाते पहाड़ी के उस पार हवाओं से आंख चुराकर निशिनाथ के कान में उन्होंने जाने…

गूंगे देव

अनुभा एवं राहुल के प्रणय प्रसंगों की कानाफूसियां अब परवान चढ़ने लगी थी। अनुभा के परिवार वाले इस तथ्य से परिचित थे लेकिन यह सोचकर आश्वस्त थे कि दोनों ने जब परिणय-सूत्र में बंधने का निर्णय ले लिया…

पाँव की जूती

थानेदार कालीसिंह की क्रूरता के किस्से थाने में ही नहीं, उनके मोहल्ले में भी मशहूर थे। ऐसा क्रूर व्यक्ति शायद ही देखने को मिले। जो मुजरिम उनके हत्थे चढ़ता तौबा कर उठता। अपनी वाणी से ही नहीं लात-घूंसों…

चिह्न

पचपन पूरे होने को आए, भगवान झूठ ना बुलवाए, आज भी मैं उतना ही डरता हूँ जितना बचपन में डरता था। भूत-प्रेतों का प्रसंग चल पड़े अथवा ऐसे विषयों पर चर्चा से अब भी रोंगटे खड़े हो जाते…

सोने की चिड़िया

दुनिया में सब कुछ मनुष्य के अनुकूल होता तो वह भगवान होता। अनुभव तो यही बताता है कि मनुष्य सोचता कुछ है एवं होता कुछ और है। राधेश्यामजी ने सोचा था कि बंटवारा करके वे चैन से जिएंगे,…

एक बिंदास लड़की

प्रो. काला को काॅलेज में पढ़ाते हुए पच्चीस वर्ष पूरे होने को आए, अनेक विद्यार्थी उनकी आंखों के आगे होकर निकल गए, जीनियस-मिडियोकर-ढोंपू सभी प्रकार के, अधिकांश को वे भूल भी गए, लेकिन कुछ नाम जो उनके जेहन…

बोनस

सूर्य उदयाचल से ऊपर उठे एवं धूप दीवारों पर उतरने लगी तब तक मैं नहा धोकर तैयार था। बसंत की सुबह कितनी मनभावन होती है। शीतल सुखदायिनी वायु एवं झूमते वृक्ष हृदय को आनंद से सराबोर कर देते…

नेति-नेति

उज्जैन नगर में शिप्रा नदी के तट पर बैठे चार भूत आपस में बतिया रहे थे। गहन अंधेरी रात्रि का एक प्रहर बीत चुका था। कोई एक बजा होगा। दिसम्बर मासांत की कड़कड़ाती सर्दी में हवाओं की सांय-सांय…

प्रतिबिम्ब

आसमान की छाती पर विचरने वाला अकेला चांद किससे बतियाता है ? वह क्या इतना एकांतप्रिय हो गया है कि उसे किसी का संग नहीं सुहाता ? यह भी तो हो सकता है कि ऐसा होना उसकी मजबूरी…

निजात

दस दिन पूर्व पांव में मोच आई तो मुझे फिर खाट पकड़नी पड़ी। मोर्निंग वाॅक से लौटते समय जाने कैसे पांव गड्ढे में पड़ गया। दो माह पूर्व कोहनी उतरी तो पन्द्रह रोज पट्टा बंधा था। उसके पहले…

मोहलत

ऑफिस में सारे दिन काम करते-करते कई बार पता ही नहीं चलता कि कब शाम का धुंधलका खिड़कियों एवं रोशनदानों से होकर आंगन में उतर आया है। अंतिम फाइल को पूरा कर मैंने सामने पड़ी अन्य फाइलों के…

कंदराएं

अगर मैं यह कहूं कि काली आंखें, गोरा रंग, तीखे नक्श एवं मतलब-बेमतलब  बात-बात पर हंसने वाली लड़की का नाम पद्मा है तो गलत नहीं कह रहा। सचमुच ये सभी बातें उसमें मौजूद थी। लेकिन जैसे चांद में…