चांद को विदा कर सूरज पूर्वी छोर से उठा तो समूचा जगत् क्षणभर में क्रियाशील हो गया। मनुष्य ने सूर्यनमस्कार कर उसका अभिनंदन किया तब भी वह चुप देखता रहा। अन्य सभी तो अपने कार्यों पर लग गए,…
जद जाणूंगी नेह
डग भरती गोडावण ने शकुन दिए तो ठाकुर महेन्द्र प्रताप सिंह को लगा यह बारात प्रस्थान का उचित समय है। अभी कुछ समय पहले ही उन्होंने गढ़ के प्रथम मंजिल पर स्थित दालान में कुल देवताओं , पितरों…
सूरज पिघल रहा है
जोधपुर शहर के ज्वालाविहार मोहल्ले में स्थित उस बगीचे में आज सुबह कुछ भी नया नहीं था। वही हरे मखमली कालीन की तरह बिछी दूब जिस पर पतली टांगों वाले कुछ पक्षी यहां-वहां फुदक रहे थे, वही चारों…
पंचनामा
रसियाजी क्या आए काॅलानी में हडकंप मच गया। आवारा पशुओं को देखकर औरतें जैसे बच्चों को अंदर ले लेती हैं, रसियाजी को घूमते देख काॅलानी के मर्द एक विचित्र आशंका से भयभीत हो उठते। उस समय इनमें से…
असल अपरिग्रह
कहते हैं कि किसी ने दुनिया देखकर हिंदुस्तान नहीं देखा तो क्या देखा, हिंदुस्तान आकर जोधपुर नहीं देखा तो क्या खाक देखा एवं जोधपुर आकर यहां की ठण्ड नहीं देखी तो क्या देखा ? इस शहर की सर्दियों…
रोशनदान
नित्य की तरह ऑफिस से घर पहुंचा तब तक सांझ का झुरमुटा फैल चुका था। घर के ठीक सामने स्थित बगीचे में खड़े नीम, पीपल आदि ऊंचे पेड़ों पर पक्षियों का शोर बढ़ने लगा था। मैंने दरवाजा खोलकर…
उसका नाम
कोई तो है जो मेरा लगातार पीछा कर रहा है। अब जब कि मैं साठ पार हो गया हूं एवं मुझे लगातार आश्वस्ति हो रही है कि कोई मेरे पीछे लगा है तो यह बात गलत नहीं हो…
मेरे चंदा
जाने क्यों एक विचित्र मायूसी इन दिनों जेहन में उतर आई है। खुदा जाने मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ है ? बस यूं ही बात-बेबात उदास रहता हूँ। जीवन के सभी स्वाद इन दिनों फीके लगते हैं। हर…
महायोगी
उसे मैं ‘चिड़ोकला’ कहूँ ‘चिड़कड़ा’ कहूँ ‘चिड़ची’ कहूँ अथवा अन्य कोई संबोधन दूँ, विशेषण कोई हो पर इससे वह नग्न सत्य नहीं बदलने वाला कि वह चिड़चिड़ा था। यह मिलते-झुलते, तरह-तरह के विशेषण तो ऑफिस में इसलिए प्रचलन…
प्रतिनिधि
ज्ञान-वृद्ध सूर्य क्षितिज के उस पार अस्ताचल में उतरने का मन बना ही रहे थे कि सांझ ने छिछोरी चुहिया की तरह बिल से मुँह बाहर निकाला। अवसर मिलते ही वह बाहर आने को यूँ उतावली थी जैसे…
संकल्प
जो पीड़ा पंछी को पंख कटने पर अथवा घोड़े को टांगो से लाचार होने पर होती है, उससे कहीं अधिक पीड़ा का अनुभव आज नलिनी कर रही थी। समय अनुकूल होने पर कदाचित पंछी के नये पंख उग…
सेंध
अभी दो माह पूर्व ही मैंने चौबीस पूरे किये हैं। यह उम्र इतनी बड़ी भी नहीं कि मैं दंभ से कह सकूँ कि मैंने अनेक पापड़ बेले हैं अथवा अनेक दुर्धुर्ष समस्याओं को सुलझाया है लेकिन इतना तो…