छोटू उस्ताद

जिस दीये की लौ ईश्वर की कृपा के साये में सुरक्षित हो, उसे कौन बुझा सकता है?‘छोटू उस्ताद’ न तो किसी दाँव-पेच सिखाने वाले पहलवान का नाम है, न ही किसी शहर-मौहल्ले के ऐसे शातिर गुरु का, जिसके…

अंतर्द्वंद्व

बिना मरेे स्वर्ग नहीं मिलता। आखिर मैंने मन कड़ा करके सेठ किशोरीलाल से पचास हजार रुपये रिश्वत के ले ही लिए। सारे कुएँ में जब भांग घुली हुई है तो मेरे एक और भंगेड़ी बन जाने से जगत्…

सम्मोहन

दिनेश की बीमारी को लेकर अंततः जब मुम्बई के सभी नामी डाॅक्टरों ने जवाब दे दिया तो शैलेन्द्रसिंह वर्मा एवं कौशल्या का रोम-रोम काँप उठा। क्या उनके एकमात्र पुत्र को इतना कष्टकर जीवन बिताना होगा? मुम्बई रोगियों की…

ताबीर

आप सही मानें या गलत, मजाक माने या हकीकत, पर मैं अखिल विश्व को साक्षी रखकर कहता हूँ कि मेरा निधन हो चुका था। मैंने स्वयं भी इसकी पुष्टि करने हेतु अपने शरीर की च्योंटी काटने की कोशिश…

क्षत्राणी

जेल अधीक्षक, विश्वेश जोशी से मेरी प्रथम मुलाकात कब हुई, यह तो मुझे नहीं मालूम पर हमारी मित्रता जैसलमेर में ही परवान चढ़ी। शायद युनिवर्सिटी के दिनों में हम पहली बार मिले थे। हम दोनों ने पोस्ट ग्रेजुएशन…

बरकत

विद्यार्थी जीवन, विशेषतः काॅलेज के जमाने की स्मृतियाँ आज भी मेरे जीवन की अमूल्य थाती है। काॅलेज सेे पहले मैं उदयपुर की मिशनरी स्कूल ‘सेंट पाॅल’ में पढ़ता था जहां विद्यार्थियों को फादर के कड़े अनुशासन में रहना…

प्रेत-पितर

मंझली भाभी सीमा हमारे परिवार की सबसे शक्तिशाली सदस्या थी , उसे कुछ भी कहने का साहस किसी में नहीं था। परिवार में उसका एक विःशेष स्थान एवं हैसियत थी, उसका आदेश हर कोई शिरोधार्य करता। मजाल कोई…