अगम्य

उसे लगा वह आज फिर लेट हो जाएगा। उतावली आँखों से उसने घड़ी की ओर देखा। नौ बजा चाहते थे। कल भी देरी से पहुँचने के कारण बाॅस ने उसे तीखी नजरों से देखा था। शायद वह डाँट…

नेमतें

तमाम प्रयासों के बावजूद मेरा कारोबार इन दिनों ठप्प पड़ा था। दुख और तकलीफों के दौर इंसान की जिन्दगी में पहाड़ की तरह आते हैं। कभी-कभी इनसे पार जाने का जरिया भी नहीं होता। आर्थिक तंगी ने मुझे…

साँप-सीढ़ी

भोपाल शहर के प्रतिष्ठित सर्राफा मार्केट में अनीता ने फीता काटकर ज्वैलरी शोरूम का उद्घाटन किया तो वातावरण तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इस शहर में आने के बाद अनीता अपने भाग्य को सराहने लगी थी। पाँव…

फुहार

ऑफिस पहुँचकर मेरी टेबल में आधी घुसी कुर्सी को खींचकर मैं इतमीनान से बैठ गया। गत दस वर्षों से मैं इसी टेबल-कुर्सी को प्रयुक्त करता था। अब तो यह मुझे अपनी निजी सम्पत्ति जैसी लगती थी। रोज प्रयुक्त…

ढोल-थाली

जोड़े तो दुनियाँ में बहुत देखे पर जगताप्रसाद बाली एवं वीणा जैसा जोड़ा कहीं नहीं देखा। शायद उनको देखकर ही किसी ने ‘एक और एक ग्यारह होते हैं’, वाला मुहावरा बनाया होगा। बाली साहब गलत हो या सही,…

ढाल

मेरा अनुज ‘कमल’ ऐसे हैरतअंगेज कारनामे करता कि मैं विस्मय से ठगा रह जाता।  बचपन में एक बार सिर्फ दो रुपये की शर्त पर मालगाड़ी के नीचे दुबक कर निकल गया। आश्चर्य की बात यह थी कि शर्त…

अमरूद का पेड़

जैसे महाजन अपने बढ़ते धन को देखकर खुश होता है, किसान अपने लहलहाते खेतों को देखकर खुश होता है, माता अपने प्रिय पुत्र को देखकर खुश होती है, नवीनजी अपने बाहर आँगन पर लगे अमरूद के पेड़ को…

पशु-मानव

कादिर भाई, पाॅकिटमार के सितारे इन दिनों ठीक नहीं थे। पिछले पाँच रोज से कोई आमदनी नहीं हुई, एक भी जेब पर हाथ नहीं मार सके। सब दिन होत न एक समान। वैसे उनकी अंगुलियों का कमाल कम…

नसीहत

पंछी हो या मनुष्य सभी को नीड़ की तलाश है। एक ऐसा घरौंदा जिसे हम अपना कह सकें, एक आशियाना जहां हम स्वच्छंदता से आ-जा सके, शांति एवं सुकून से रह सकें, जहाँ हमारी निजता एवं आत्म परितोष…

घुड़सवार

किसी को नीचा दिखाकर दुनिया में कोई ऊँचा नहीं हुआ, फिर भी कुछ लोग स्वभाव से ही टेढ़ी चाल चलते हैं। सरल, शांत और स्थिर पानी में भी जोंक हमेशा वक्र गति से चलती है। कुछ मनुष्यों में…

अगोचर

एडवोकेट सतीश शर्मा को अजमेर शहर में कौन नहीं जानता। न्याय के क्षेत्र में वे एक जाना माना नाम हैं। जो भी उनके सम्पर्क में आता है, चाहे वह जज हो अथवा मुवक्किल, पुलिस अधिकारी हो अथवा अन्य…

आघात

फ्रैण्ड्स काॅलोनी, अलवर की सड़कों पर एक जवान पागल अक्सर घूमता-दौड़ता नजर आता। फटे कपड़े, कृशकाय शरीर एवं बिखरे बाल उसके उन्माद में और इजाफा करते। सर्दी, गर्मी अथवा बारिश, कोई मौसम हो, वो रोज रात ग्यारह बजे…