दहशत

भरे गले एवं भारी हृदय से नविता आज मुझे जोधपुर रेलवे स्टेशन तक छोड़ने आई थी। बीवी को नाराज करना किसे अच्छा लगता है। बहुत जरूरी काम नहीं होता तो मैं यह यात्रा हरगिज नहीं करता। कोलकाता में…

घोड़े की जात

रजनी जब तक जिंदा थी, घर की मुर्गी दाल बराबर थी पर मृत्यु के बाद मेरी आंखों में उसका दर्जा भगवान के बराबर हो गया है। उसकी स्मृतियाँ हर पल हृदय को मसोसती रहती है। दिन-रात हर घड़ी…

दुपहरी संध्या

ईश्वर चाहे नरक का वास दे पर किसी को ‘निन्यानवे के फेर’ में न उलझाए। गणित का अधिक ज्ञान कभी-कभी गर्दन का फंदा बन जाता है। हर शास्त्र का सम्यक् ज्ञान ही उचित है। बचपन में बाबूजी को…

धर्म

नेत्रों का लाभ संतों का दर्शन है। विप्रवर संत शिवेश्वर गोस्वामीजी के प्रवास एवं प्रवचन का गांधी मैदान में आज अन्तिम दिन था। सारा का सारा शहर आज इसी मैदान की तरफ भाग रहा था। लगता जैसे हर…

बोध

कुंकुम भरे पांव सुनंदा ने अवस्थी साहब के आंगन में रखे तो उनके एक पुराने मित्र कहे बिना नहीं रह सके, ‘‘यार अवस्थी! तुमने ताश की गड्डी से दूसरा इक्का निकाला है।’’ अवस्थी साहब इस प्रशंसा को सुनकर…

युगाान्तर

आज सुबह से ही घर में सभी काम पर लगे थे, सभी के चेहरों पर एक विशेष उत्साह था। सबको मालूम था, आज लड़के वाले रेखा को देखने आ रहे हैं। उमेश पंखें, फानूस, ट्यूबें चमका रहा था।…

चोट

आज कोई नई बात नहीं थी, सूरज नित्य की तरह अभी-अभी लाल-पीला होकर डूबा था। हर शाम की तरह आज भी जगदीश मेनारिया ने कमरे की खिड़की खोली। खिड़की से सटी टेबल पर रखी रम की बोतल हाथ…

फाँस

अरुण सहगल धन को ऐसे सेते थे जैसे मुर्गी अण्डों को। पैसा उन्हें प्राणों से भी अधिक प्यारा था। रिटायर हुए पच्चीस वर्ष हो गए, सरकार पेंशन देते-देते थक गई, चेहरा झुर्रियों से भर गया, दाँत कब के…

हदें

गुलाटी साहब जब भी आते, घर में बहार आ जाती। जैसे चन्द्रमा के उदय होने से रात रोशन होती है, उनके आते ही सबके चेहरे प्रसन्नता से खिल जाते। दुनिया के रंजोगम अब इस कदर बढ़ गए हैं…

समाधान

सच में सूर्य कभी-कभी पश्चिम से निकल आता है। आज रेखा की बत्तीसवीं वर्षगांठ पर मैंने उसे खूबसूरत छल्ले में कार की चाबी लटकाकर वर्षगांठ की मुबारकबाद दी तो उसे यकीन ही नहीं आया। दरअसल इस सोच का…

कुत्ता आदमी

मुझे याद नहीं माला बिटिया को मैंने कभी निराश किया हो अथवा उसकी बात टाली हो। वह हमारी शादी की प्रथम सौगात थी। संयोग से शादी के एक वर्ष बाद हमारी प्रथम वेडिंग एनिवरसरी के दिन ही उसका…

यमराज

उसका असली नाम तो ‘प्रियरंजन’ था, पर उसकी हरकतों, शरारतों या यूँ कहिए उसके पैदा होने के बाद हादसों का ऐसा सिलसिला चला कि सभी उसे ‘यमराज’ कहने लग गए। उसके पैदा होने के बाद से ही पुश्तैनी…