फाँस

अरुण सहगल धन को ऐसे सेते थे जैसे मुर्गी अण्डों को। पैसा उन्हें प्राणों से भी अधिक प्यारा था। रिटायर हुए पच्चीस वर्ष हो गए, सरकार पेंशन देते-देते थक गई, चेहरा झुर्रियों से भर गया, दाँत कब के…

हदें

गुलाटी साहब जब भी आते, घर में बहार आ जाती। जैसे चन्द्रमा के उदय होने से रात रोशन होती है, उनके आते ही सबके चेहरे प्रसन्नता से खिल जाते। दुनिया के रंजोगम अब इस कदर बढ़ गए हैं…

समाधान

सच में सूर्य कभी-कभी पश्चिम से निकल आता है। आज रेखा की बत्तीसवीं वर्षगांठ पर मैंने उसे खूबसूरत छल्ले में कार की चाबी लटकाकर वर्षगांठ की मुबारकबाद दी तो उसे यकीन ही नहीं आया। दरअसल इस सोच का…

कुत्ता आदमी

मुझे याद नहीं माला बिटिया को मैंने कभी निराश किया हो अथवा उसकी बात टाली हो। वह हमारी शादी की प्रथम सौगात थी। संयोग से शादी के एक वर्ष बाद हमारी प्रथम वेडिंग एनिवरसरी के दिन ही उसका…

यमराज

उसका असली नाम तो ‘प्रियरंजन’ था, पर उसकी हरकतों, शरारतों या यूँ कहिए उसके पैदा होने के बाद हादसों का ऐसा सिलसिला चला कि सभी उसे ‘यमराज’ कहने लग गए। उसके पैदा होने के बाद से ही पुश्तैनी…

अगम्य

उसे लगा वह आज फिर लेट हो जाएगा। उतावली आँखों से उसने घड़ी की ओर देखा। नौ बजा चाहते थे। कल भी देरी से पहुँचने के कारण बाॅस ने उसे तीखी नजरों से देखा था। शायद वह डाँट…

नेमतें

तमाम प्रयासों के बावजूद मेरा कारोबार इन दिनों ठप्प पड़ा था। दुख और तकलीफों के दौर इंसान की जिन्दगी में पहाड़ की तरह आते हैं। कभी-कभी इनसे पार जाने का जरिया भी नहीं होता। आर्थिक तंगी ने मुझे…

साँप-सीढ़ी

भोपाल शहर के प्रतिष्ठित सर्राफा मार्केट में अनीता ने फीता काटकर ज्वैलरी शोरूम का उद्घाटन किया तो वातावरण तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इस शहर में आने के बाद अनीता अपने भाग्य को सराहने लगी थी। पाँव…

फुहार

ऑफिस पहुँचकर मेरी टेबल में आधी घुसी कुर्सी को खींचकर मैं इतमीनान से बैठ गया। गत दस वर्षों से मैं इसी टेबल-कुर्सी को प्रयुक्त करता था। अब तो यह मुझे अपनी निजी सम्पत्ति जैसी लगती थी। रोज प्रयुक्त…

ढोल-थाली

जोड़े तो दुनियाँ में बहुत देखे पर जगताप्रसाद बाली एवं वीणा जैसा जोड़ा कहीं नहीं देखा। शायद उनको देखकर ही किसी ने ‘एक और एक ग्यारह होते हैं’, वाला मुहावरा बनाया होगा। बाली साहब गलत हो या सही,…

ढाल

मेरा अनुज ‘कमल’ ऐसे हैरतअंगेज कारनामे करता कि मैं विस्मय से ठगा रह जाता।  बचपन में एक बार सिर्फ दो रुपये की शर्त पर मालगाड़ी के नीचे दुबक कर निकल गया। आश्चर्य की बात यह थी कि शर्त…

अमरूद का पेड़

जैसे महाजन अपने बढ़ते धन को देखकर खुश होता है, किसान अपने लहलहाते खेतों को देखकर खुश होता है, माता अपने प्रिय पुत्र को देखकर खुश होती है, नवीनजी अपने बाहर आँगन पर लगे अमरूद के पेड़ को…