मेरे घर से सौ कदम दूर ठीक सामने खड़े उस बूढ़े पीपल के पेड़ को किसने लगाया, उसकी क्या उम्र है, क्या इतिहास है, किसने इसके चारों और सुंदर जड़े हुए पत्थरों का चबूतरा बनाया आदि बातें तो…
जमूरा
वह दिन भी आम दिनों जैसा ही था जब सूरज पूर्व से अंगड़ाई लेते हुए ऊपर उठा था , दूधवाले ने ‘ बीवीजी दूध ’ कहकर आवाज़ लगाई थी एवं अखबारवाला नीयत समय पर अखबार डाल गया था।…
थैंक्स कैटी
सूरज डूबते हुए अनेक बार शाम को उदासियाँ क्यों दे जाता है ? वह स्वयं तो महाकाश में विलीन होकर परम शांति ढूंढ लेता है, अकेली शाम को वह किसके आश्रय में छोड़ता है ? सूरज क्या जानता…
निष्कर्ष
यह पेड़ों पर नई कोपलें आने का मौसम था। इन दिनों पूरे शहर की रंगत बदल गई थी। यही वह समय था जब दिन साफ-शफ्फाक एवं रातें चांदनी में नहाई हुई लगती हैं। सूरज जो अब तक ठिठुरन…
कॉर्बेल का उपहार
जेठ में सुबह कुछ जल्दी ही उग आती है। उमाशंकरजी ने आंखें खोली तब भोर का उजास खिड़कियों, रोशनदानों से कमरे में दस्तक दे चुका था। हवाओं की ठंडक एवं चिड़ियों की आवाजों से उन्हें लगा छः बजे…